नवधा भक्ति से शबरी की तरह राम को पाया जा सकता है भागवत आचार्य डॉ रमाकांत शर्मा
नीलकंठ मारुति मंदिर नवापारा में चल रहे भागवत कथा के अष्टम दिवस में महाराज जी ने कथा को विराम देने के पहले सुदाम देव जी के चरित्र का वर्णन किया मगध राज जरा सांड की मृत्यु हो जाने पर सभी राजाओं को कैदी बना रखा था उन्हें कल दर से मुक्त कर दिया और मुक्त वे राजाओं ने भगवान कृष्ण की स्तुति की कृष्णाय वासुदेवाय हारिए परमात्मने प्रणात अखिलेश नसाए गोविंद नमो नमः प्रणाम करने वाले के अखिलेश का भगवान गोविंद नाश कर देते भगवान ने जिन पर बड़ा अनुग्रह किया है उसकी मंगलमय कथा है सुदामा चरित्र सुदाम देव जी संदीपनी के आश्रम में जब पढ़ते थे तब भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता हुई पढ़ाई के बाद कृष्ण मथुरा आ गए और सुदामा पोरबंदर में रहने लगे सुदामा साधारण ब्राह्मण नहीं था ब्राह्मण ब्रह्मा ज्ञान का उपयोग उन्होंने कभी अर्थ उपार्जन में नहीं किया कथा बढ़िया करते थे अच्छी करते थे लेकिन किंतु अपने नारायण को सुनते अयाची ना मांगने का व्रत है कोई वैष्णव स्वयं आकर के दे जाता था तो उनके घर की रसोई बनती थी अन्यथा भगवान को धन्यवाद देते हुए उपवास करते थे ब्राह्मणों का धन संतोष होना चाहिए यह धन सुदाम देव जी के पास पूर्ण रूप से परिपूर्ण ब्राह्मणों का गौरा था सुदामा और फिर महाराज जी ने श्री रामदेव जी के चरित्र के बाद फिर परीक्षित मोक्ष की कथा एक नए ढंग से व्याख्या की द्वापर का युग कृष्ण के साथ पूरा हुआ कलयुग का आरंभ हुआ फिर कलिकाल में क्या होगा इसका वर्णन महाराज जी ने बताया कि काली काल में जो छतरी होगा वहीं शासन करेगी ऐसी बात नहीं होगी जो छल कपट में निपुण होगा वह शासक हो बनेगा काली काल में चार वर्ण जैसा कुछ भी नहीं रहेगा काली काल में बाल नाखून बढ़ाना यह शोभा रूप हो जाएगा काली काल में जो धनवान है वही गुणवान कहलाएगा जो छल कपट में निपुण है वह बुद्धिमान कहलाएगा तीर्थ में रहने वाले पाप कर्म में लगे रहेंगे काली काल में लोग गाय का विक्रय करेंगे गोरस का विक्रय करेंगे अन्य विक्रय करेंगे काली काल में चित्र विचित्र रोग होता भोग वाली जीवन के कारण संसार में विचित्र रोग फैलेंगे लोग मारेंगे कलयुग में लोग गए गीता और गोपी को भुला देंगे उसकी दुर्दशा होगी आज जो लक्षण आप देख रहे हो यह सब बारे में स्कंद में श्रीमद् भागवत में वर्णित है सुखदेव जी ने राजा परीक्षित को कहा कि राजा एन तुम्हारे प्रश्न के उत्तर में मैं भागवत की कथा का श्रवण कराया तुम्हारे साथ मैं भी कृतार्थ हो गया क्योंकि मुझे भी कथा सुनने का लाभ मिला तुम्हारे कारण मैं भी प्रभु कथा में लीन हो सका राजा ने पूजा की राजा की मस्तक पर सुखदेव जी महाराज ने अपना व्रत रखा इस क्षण परमात्मा के दर्शन परीक्षित को हुए जीव और ब्रह्म एक हो गए बगल में महाराज जी नेसुखदेव जी महाराज ने अपने आसन को उठाया कमंडल उठा राधा कृष्ण में संसार को ब्रह्म में देखते हुए संत गंगा के किनारे से आए थे और उधर ही चलेंगे कहां गए क्या पता कहां से आए थे क्या पता संतों का जीवन तो बहुत ही श्रद्धा की भांति होता है नदी बहती भली और साधु चला पर सुखदेव जी के अंतर ध्यान होते ही परीक्षित के शरीर से एक ज्योति प्रकट हुई और मा ज्योति में मिल गई पुत्र जनमेजय ने सोचा पिता को मरने नहीं दूंगा चारों तरफ सैनिकों का पर लगा दिया किंतु विधि के विधान को कौन पलट सकता है सातवें दिन पूजा के तल में तक्षक गुप्त रूप से आया जो फल रखे हुए थे हाल में उसमें कीड़े के रूप में घुस गया क्योंकि चारों तरफ पहरा लगा हुआ था अंदर प्रवेश कोई कर नहीं सकता था फिर अंदर पहुंचने के बाद सर्प के रूप में परिवर्तित हुआ मुंह खोल विश्व की ज्वाला निकली राजा परीक्षित का दे उसी में जलकर भस्म हो गया पुष्प दृष्टि हुई जय घेाषवक बोलिए परीक्षित जी महाराज की परीक्षित की मोक्ष मुक्त हुए और कथा के नम दिवस महाराज जी ने जीता पर प्रवचन करते हुए बताया इस छल कपट की इच्छा ही नरक है मां को मन में सात्विक भाव जागे परमात्मा का स्मरण हो परोपकार का भाव आए तो समझना मैं स्वर्ग में हूं जीव माया के अधीन है और माया जिसके अधीन है वह है
कार्यक्रम के दौरान गण मान्य लोगों का व्यास पीठ से सम्मान किया गया जिसमें नगर के योगाचार्य डॉक्टर रमेश कुमार सोनसायटी, डॉ राजेंद्र गदिया, पत्रकार रमेश पहाड़िया पत्रकार लीलाराम साहू को शाल श्रीफल भेंट कर, सम्मानित किया गया कार्यक्रम में कन्हैया महाराज पन्ना साहू ब्रह्मदत्त शास्त्री, मधुसूदन शर्मा सूरज टेलर, मनीष शर्मा प्रहलाद अग्रवाल पशु चिकित्सा वर्मा नगर के श्रद्धालु गण गुप्ता परिवार मैं अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर प्रतिदिन कथा का रसपान किया