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Wednesday, 24 September 2025

ग्राम पोड़ीखुर्द से ग्राम सुलेशा के बीच दनगरी घाट तक सड़क निर्माण हेतु 18.37 करोड़ रुपए की मिली मंजूरी

 खूबसूरत पर्यटन स्थल दनगरी घाट तक पहुंच होगी आसान



प्रकृति प्रेमियों और रोमांच चाहने वालो के लिए  एक मनमोहक सांस्कृतिक यात्रा आपको सब कुछ प्रदान करता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग होने के अलावा, जशपुर एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी घर है। यहाँ रहने वाले आदिवासी समुदायों की अपनी अनूठी परंपराएँ, कलाएँ, संगीत और लोककथाएँ हैं। जशपुर जिले के बगीचा विकासखंड स्थित ग्राम पोड़ीखुर्द से ग्राम सुलेशा के बीच दनगरी घाट तक  सुगम यातायात के लिए13.60 किमी सड़क निर्माण के लिए 18 करोड 37 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई हैं। निर्माण हेतु आगे की प्रक्रिया जारी है। इससे लोगों की यह बहुप्रतीक्षित मांग पूरी होने पर ग्रामीणों में खुशी की लहर है।
         


  

  घने जंगलों, कल-कल बहते झरनें, पहाड़ी नदियां, ऊँचे पहाड़ों और पठारों  से घिरा जशपुर प्राकृतिक खूबसूरती का अद्वितीय खजाना है। पर्यटकों के लिए सहज आकर्षित करने वाले इन खूबसूरत पर्यटन स्थलों को मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर विकसित किया जा रहा है। इसका मकसद जशपुर की इन पर्यटन स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत पहचान देने के साथ ही रोजगार के नए अवसर निर्मित करना है। ग्राम पोड़ीखुर्द से ग्राम सुलेशा के बीच दनगरी घाट तकसडक बन जाने से इस क्षेत्र का विकास हो जाने से आसपास के ग्रामों को लाभ मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। जशपुर मुख्यालय से लगभग 88 किमी दूर घने जंगलों में स्थित यह झरना ऊँची चट्टानों से तीन-चार धाराओं में गिरता है। शांत, मनोहारी और रोमांच से भरपूर यह स्थान प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं।

पर्यटन बन रही है जशपुर की नई पहचान
   ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री ने 14 सितंबर को  बगिया से सामुदायिक पर्यटन के तहत जशपुर के पांच ग्रामों में होम स्टे की शुरुआत की थी, जिनमें  दनगरी भी शामिल  है। यह नीति लागू करने का उद्देश्य रोजगार के नए अवसर निर्मित करने के साथ ही देश-दुनिया के पर्यटकों को यहां की समृद्ध आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और लोकजीवन से परिचय कराना भी है।  मुख्यमंत्री के प्रयासों से ही मधेश्वर पहाड़ को शिवलिंग की विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक प्रतिकृति के रूप में मान्यता मिली है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है। रिकॉर्ड बुक में ’लार्जेस्ट नेचुरल फैक्सिमिली ऑफ शिवलिंग’ के रूप में मधेश्वर पहाड़ को दर्ज किया गया है। जशपुर के पर्यटन स्थलों की जानकारी के लिए पर्यटन वेबसाइट
में जगह दी गई है।

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