नई दिल्ली, 7 अगस्त, 2024
मंडल आयोग कार्यान्वयन दिवस को ओबीसी के लिए मंडल दिवस के रूप में मनाया चाहिए - पोटाला प्रसाद नायडू ,महात्मा ज्योतिबा फुले,अखिल भारतीय ओबीसी अध्यक्ष
आज का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। 1990 में इसी दिन केंद्र सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मंजूरी दी थी। ओबीसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्योतिराव फुले, पोतला प्रसाद नायडू ने इस क्षण को सामाजिक न्याय के लिए एक नए युग के रूप में वर्णित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछड़े वर्गों के लिए समान सम्मान और दर्जा आवश्यक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं। यह एक ऐसा घटनाक्रम है जो एक नए युग में जान फूंकता है। इसे 15 अगस्त, 1947 और 26 जनवरी, 1950 की दो सबसे बड़ी घटनाओं के बाद देश के इतिहास की तीसरी सबसे बड़ी घटना बताया गया है।
13 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा में जवाहरलाल नेहरू ने 'उद्देश्य प्रस्तावों' की घोषणा की। इसमें कहा गया कि ओबीसी को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाएगी। संविधान की प्रस्तावना में भी यही बात निहित है। संविधान सभा ने अनुच्छेद 340 के माध्यम से पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया, ताकि पिछड़ा वर्ग की पहचान की जा सके और उनके उत्थान के लिए कदम उठाए जा सकें। सामाजिक परिवर्तन के लिए दलितों को सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है। डॉ. बी.आर. अंबेडकर के अनुसार, पिछड़ा वर्ग के लिए दूसरा राष्ट्रीय आयोग 1978 में स्वर्गीय श्री बिंदेश्वर प्रसाद मंडल, सांसद और बिहार के 64वें मुख्यमंत्री के नेतृत्व में स्थापित किया गया था।
जब उनका स्वास्थ्य खराब हो गया, तो उन्होंने पूरे भारत के लोगों से प्रस्ताव एकत्र किए और 31 दिसंबर, 1980 को अंतिम आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत की। संसद में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में शिक्षा और रोजगार में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण की सिफारिश की गई। इसलिए हम इस दिन को मंडल दिवस के रूप में घोषित कर रहे हैं। तब से, विभिन्न राजनीतिक दल घोषणाएँ कर रहे हैं। प्रेस वार्ता में पोन्नाला लक्ष्मय्या (पूर्व पीसीसी कमेटी अध्यक्ष) भी मौजूद थे
पोटाला प्रसाद नायडू,
महात्मा ज्योतिबा राव फुले, अखिल भारतीय ओबीसी अध्यक्ष,